रविवार, 7 अक्टूबर 2012

भारत की व्यवस्था लोकतान्त्रिक है  .यानी एक ऐसी व्यवस्था जिसका  ताना-बाना जनता द्वारा बुना गया हो।
 परन्तु वर्तमान  व्यवस्था कही से भी आम लोगों के पक्ष में प्रतीत नहीं हो रही। इसके उलट यह मछली पकड़ने वाले  ऐसे जाल की तरह है जिसमें लोक -लुभावन जनहितकारी योजनायें उसी तरह गुथी गई हैं जैसे जाल  में मछली पकड़ने के लिए चारे गुथे जाते है। 

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इच्छाएँ

  जय गुरुदेव , एक से अनेक होने की इच्छा से उत्पन्न जीवन में इच्छाएँ केवल और  केवल सतही हैं। गहरे तल पर जीवन इच्छा रहित है। धन्यवाद