जय गुरुदेव,
एक से अनेक होने की इच्छा से उत्पन्न जीवन में इच्छाएँ केवल और
केवल सतही हैं। गहरे तल पर जीवन इच्छा रहित है।
धन्यवाद
जय गुरुदेव,
एक से अनेक होने की इच्छा से उत्पन्न जीवन में इच्छाएँ केवल और
केवल सतही हैं। गहरे तल पर जीवन इच्छा रहित है।
धन्यवाद
दूसरे की गलतियों को क्षोभपूर्ण व्यक्त करना नकारात्मकता है, इस
प्रक्रिया
में कहने वाले और सुनने वाले दोनों ही व्यथित हो जाते हैं।
दूसरे द्वारा अव्यवस्थित की गई चीज़ों को बिना उसे बताये व्यवस्थित
करना उत्तम, वैसे ही छोड़ देना मध्यम तथा क्षोभपूर्वक उसे व्यक्त
करना नीच भाव है।
सपनों के अभाव से उत्पन्न हुए खालीपन को सेक्स, सम्पत्ति, संगति
और/अथवा
शोहरत कदापि नहीं भर सकते।
जय गुरुदेव , एक से अनेक होने की इच्छा से उत्पन्न जीवन में इच्छाएँ केवल और केवल सतही हैं। गहरे तल पर जीवन इच्छा रहित है। धन्यवाद