रविवार, 10 सितंबर 2023

प्रेम

प्रेम अकर्मक क्रिया है


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इच्छाएँ

  जय गुरुदेव , एक से अनेक होने की इच्छा से उत्पन्न जीवन में इच्छाएँ केवल और  केवल सतही हैं। गहरे तल पर जीवन इच्छा रहित है। धन्यवाद