रविवार, 10 सितंबर 2023

वो

 

वो मौज हो गई, मैं किनारा रहा।

दूर से ही सही पर सहारा रहा।।

हालातों का हरदम मैं मारा रहा।

खुद से न खुद का गवारा रहा।।

शिकवे शिकायत का अंत हो गया।

अब तो हर मौसम बसंत हो गया।।

धन्यवाद!

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इच्छाएँ

  जय गुरुदेव , एक से अनेक होने की इच्छा से उत्पन्न जीवन में इच्छाएँ केवल और  केवल सतही हैं। गहरे तल पर जीवन इच्छा रहित है। धन्यवाद