रविवार, 10 सितंबर 2023

खिड़की तो खोल

 

जिस समंदर में डूबे है कई सारे,

वहां भी कितनों का बसेरा है।

समय है एक ही,

किसी की रात तो किसी का सवेरा है।

पर्दे हटा, खिड़की तो खोल,

सूरज सर पर और तेरे घर में अंधेरा है।

दिल पे बोझ कैसा, आंखे नम क्यूं,

जी भर जी ले, ना तेरा ना कुछ मेरा है।

धन्यवाद!


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इच्छाएँ

  जय गुरुदेव , एक से अनेक होने की इच्छा से उत्पन्न जीवन में इच्छाएँ केवल और  केवल सतही हैं। गहरे तल पर जीवन इच्छा रहित है। धन्यवाद