जिस समंदर में डूबे है कई सारे,
वहां भी कितनों का बसेरा है।
समय है एक ही,
किसी की रात तो किसी का सवेरा है।
पर्दे हटा, खिड़की
तो खोल,
सूरज सर पर और तेरे घर में अंधेरा है।
दिल पे बोझ कैसा, आंखे नम क्यूं,
जी भर जी ले,
ना तेरा ना कुछ मेरा है।
धन्यवाद!
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