खुद की तलाश में..........
जुदा तो हो ही जाओगे।
होके जुदा बहुत रोओगे।
अभी टटोल रहे हो जख्म मेरा।
घर जाकर हाथ कई बार धोओगे।
जय गुरुदेव , एक से अनेक होने की इच्छा से उत्पन्न जीवन में इच्छाएँ केवल और केवल सतही हैं। गहरे तल पर जीवन इच्छा रहित है। धन्यवाद
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