दूसरे की गलतियों को क्षोभपूर्ण व्यक्त करना नकारात्मकता है, इस
प्रक्रिया
में कहने वाले और सुनने वाले दोनों ही व्यथित हो जाते हैं।
दूसरे द्वारा अव्यवस्थित की गई चीज़ों को बिना उसे बताये व्यवस्थित
करना उत्तम, वैसे ही छोड़ देना मध्यम तथा क्षोभपूर्वक उसे व्यक्त
करना नीच भाव है।